गुड़हल के परिचय, फायदे और नुकसान l Gurhal Ke Parichay, Fayde Aur Nuksan
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गुड़हल का परिचय
गुड़हल का वानस्पतिक नाम हिबिस्कस-रोजा-साइनेन्सिस (Hibiscus -rosa-Linn.) है l गुड़हल का फूल आकर्षक रंगों और विचित्र रूपों के कारण इसका पेड़ घर, गॉर्डन और मंदिरो में लगाया जाता है l
आकार रंग और रूप
इसके फूलों का अनेकों रंग होता है जैसे में लाल, पीला, नारंगी, बैंगनी, श्वेत लाल और श्वेत होता है l श्वेत या श्वेत लाल रंग के फूल वाला पेड़ बहुत गुणकारी होता है l इनकी पत्तियां 3 – 8 सेंटीमीटर लंबी चमकीलीदार होती है l
गुड़हल में पाये जाने वाले तत्व
इसमें कोलेस्टेरॉल, सिट्रीक अम्ल, कैल्शियम, वसा, विटामिन तथा नाइट्रोजन पाये जाते है जो हमारे शरीर के अच्छा औषधीय स्त्रोत है l
गुड़हल के घरेलु उपचार विधि Gurhal Ke Fayde
यह एक ऐसा फूल है जो सालों भर सभी जगहों पर पाया जाता है l इसका कलम भी आसानी से कही भी लगा सकते है l
बालों की समस्या :-
- गंजापन :- गौमूत्र में इसके फूलों को पीसकर सिर में लगाने से बाल बढ़ते है तथा गंजापन भी दूर होता है l
- रुसी :- गुड़हल फूल के रस में बराबर मात्रा में तिल तेल मिलाकर उबा लें l तेल शेष रहने पर उसको उतारकर छान ले फिर सर में इस तेल का मालिस करने से बालों की रुसी खत्म हो जाती है l
- शीतलता :- इसके पत्तों को पीसकर लुग्दी बनाकर बालों में लगा लें l दो घंटे बाद बाल धोकर साफ कर लें l इसी तरह नियमित रूप से बालों में लगाने से बालों को न केवल पोषण मिलता है बल्कि सिर में शीतलता का भी अनुभव होता है l
- चमकीले और लंबे बाल :- गुड़हल के ताजे फूलों में बराबर मात्रा में जैतून का तेल मिलाकर आग में पका लें l जब केवल तेल शेष रह जाये तो शीशी में भरकर रख लें l प्रतिदिन बालों में अच्छे से मालिश कर जड़ों तक लगाने से बाल चमकीले और लंबे घने होते है l
- बाल काला :- गुडहल के फूल और भृंगराज के फूल को भेड़ के दूध में पीसकर लोहे के बर्तन में रख दें l सात दिन बाद निकालकर भृंगराज के जड़ के रस में मिलाकर बालों में लगाकर धोने से बल काले हो जाते है l
मुँह के छाले
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गुड़हल की जड़ अच्छे से धोकर एक – एक इंच टुकड़ो में काट कर रख लें l दिन में 3 से 4 बार एक – एक टुकड़ा चबाकर थूक दें जिससे एक दो दिन में ही आराम मिल जाएगा l
श्वसन क्रिया में लाभ
खाँसी :- गुडहल के जड़ और तन का कवाथ बनाकर 10 – 30 मिली कवाथ में शहद मिलाकर पिने से खांसी में लाभ होता है l
कफ :- गुड़हल के फूल का सेवन करने से कफ विकारों में काफी लाभ होता है l
बवासीर
गुड़हल की कलियों को घी में तलकर उसमे मिश्री और नागकेशर मिलकर सुबह शाम सेवन करने से बवासीर में लाभ होता है l
खून की कमी
एक चम्मच गुड़हल के फूल के चूर्ण को एक कप दूध के साथ सुबह शाम प्रतिदिन सेवन करते रहने से कुछ ही महीनों में रक्त की कमी दूर होकर शारीरिक स्फूर्ति और बलवृद्धि होती है l
श्वित्र-रोग
गुड़हल के चार पुष्पों को सुबह शाम 2 वर्ष तक सेवन करने से श्वित्र-रोग में लाभ होता है l
स्मरण शक्तिवर्धक
गुड़हल के फूलों और पतों को सुखाकर, बराबर मात्रा में मिलाकर पीसकर कोई डब्बा में रख लें l एक चमच एक कप दूध में सुबह शाम पिने से स्मरण शक्ति में वृद्धि होती है l
सूजन और दर्द
इसके पत्तों और फूलों को पानी में पीसकर सूजन या दर्द वाले भाग पर लगाने से बहुत आराम मिलता है l
गुड़हल का शरबत
गुड़हल के 100 फूल लेकर हरे डंठल को हटाकर पंखुरियों को निम्बू के रस में भिंगोकर कांच के बर्तन में रात्रि में खुले स्थान पर रख दें l सुबह मसल कर छानकर इसमें ६५० ग्राम मिश्री या चीनी और एक बोतल गुलाब जल मिलाकर, दो बोतलों में बंद कर धूप में दो दिन तक रख दें तथा हिलाते रहें l मिश्री या चीनी अच्छी तरह घुल जाने पर शरबत बन जाता है l
इसे 15 से 40 मिली तक की मात्रा में पीते रहने से जी-मिचलाना, बेहोशी, चक्कर, नेत्रदाह, छाती की जलन, निंद्रानाश और नकसीर में इस शरबत से काफी लाभ होता है l
गुड़हल के नुकसान Gurhal Ke Nuksan
- इसका अधिक मात्रा में सेवन करने से आँखों में कृमि उत्पन्न करता है l
- यह ठंढी तासीर वालों के लिए हानिकारक है l
नोट:- मेरा यह आर्टिकल आपलोगों को सिर्फ सामान्य जानकारी के लिए है l आप किसी भी चीज का सेवन करने से पहले अपने डॉक्टर या चिकित्सक से सलाह या परामर्श जरूर लें।