Dengue Fever डेंगू बुखार से बचाव के लिए पतंजलि आयुर्वेदिक औषधियों का सेवन

Dengue Fever : डेंगू बुखार से बचाव के लिए पतंजलि आयुर्वेदिक औषधियों का सेवन

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Dengue Fever (डेंगू बुखार) से बचाव के लिए पतंजलि आयुर्वेदिक औषधियों का सेवन :- अभी के समय में डेंगू बीमारी बहुत जोड़ों से फ़ैल रहा है | खास कर यह बीमारी पुरे भारत में अक्टूबर और नवम्बर महीने में ज्यादा फैलता है | यह बीमारी फैलने का वजह बारिश में भींग जाना और घर में साफ – सफाई नहीं रहने से मच्छरों का अड्डा बन जाता है | मच्छर के काटने से डेंगू होता है | डेंगू से बचाव के लिए घर में साफ सफाई रखें, बारिश में नहीं भींगे अगर भींग जाये तो तुरंत नहाकर दूसरा कपड़ा बदल लें |


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इस आर्टिकल में हम आपलोगों को डेंगू हो जाने पर क्या करें, डेंगू से बचाव के लिए कौन सी आयुर्वेदिक दवा का सेवन करें जिससे लाभ मिले | आयुर्वेदिक औषधि (दवा)  का कोई साइड इफ़ेक्ट नहीं होता है, जबकि एलोपैथिक (अंग्रेजी ) दवा का साइड इफ़ेक्ट (Side Effect) बहुत होता है | आज हम कुछ ऐसे ही पतंजलि के आयुर्वेदिक दवा के बारे में बताने वाले है | पतंजलि की कौन सी दवा लेनी चाहिए और उसका सेवन कैसे करें |

नवीन उपचार विधि :-

दिव्य डेंगूनिल वटी ( Divya Dengunil Vati) 80 Tab (गोली) 
 गिलोय घनवटी (Giloy Ghanvati) 60 Tab (गोली)
  • डेंगूनिल वटी : 2- 2 वटी सुबह – शाम भोजन के पहले गुनगुने जल से सेवन करें।
  • गिलोय घनवटी : 2- 2 घनवटी सुबह – शाम भोजन के बाद गुनगुने जल या से सेवन करें।

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परम्परागत उपचार विधि :-

औषधि ( दवा ) नाम  मात्रा (ग्राम)
दिव्य सितोपलादि चूर्ण (Sitopladi Churna) 25 ग्राम
दिव्य गिलोय सत् (Giloy Sat) 10 ग्राम
दिव्य गोदन्ती भस्म (Godanti Bhasma) 10 ग्राम
दिव्य स्फटिक भस्म (Sphatika Bhasma) 5 ग्राम
दिव्य संजीवनी वटी (Sanjeevani Vati) 10 ग्राम (चूर कर)
दिव्य स्वर्ण वसन्तमालती रस (Swarn Vasant Malti Ras) 2 ग्राम

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सेवन विधि :-

  • सभी औषधियों (भस्म) को मिलाकर 60 पुड़िया बना कर हवा बंद डब्बा में  रख लें।
  • सुबह नाश्ते एवं शाम के भोजन से आधा घण्टा पहले शहद (मधु) या गुनगुने जल से सेवन करें।
दिव्य गिलोयघन वटी (Giloy Ghanvati) 60 Tab (गोली)

 सेवन :- 2-2 गोली सुबह – शाम भोजन के बाद गुनगुने जल या सामान्य जल से सेवन करें।

नोट :- Platelets (प्लेटलेटस) को बढ़ाने के लिए स्वामी (बाबा रामदेव) जी के द्वारा बताए हुए घरेलू उपायों में उपचार विधि निम्न प्रकार है :-

जूस नाम  मात्रा (मिली) 
गेंहू के ज्वारे का स्वरस ( Wheat Grass Juice) 20 मिली
दिव्य गिलोय स्वरस (Giloy Juice) 20 मिली
पपीते के पत्ते का रस (Papaya Leaf Juice) 20 मिली
दिव्य घृतकुमारी स्वरस (Aloevera Juice)  20 मिली

सभी आयुर्वेदिक जूस को मिलाकर सुबह – शाम खाली पेट सेवन करने से डेंगू में विशेष लाभ होता है।

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नोट :- एनर्जी ( Energy) के लिए Patanjali Nutrela Daily Energy Capsule ( पतंजलि न्यूट्रेला डेली एनर्जी कैप्सूल) दिन में 2-2 कैप्सूल सुबह – शाम गुनगुने जल से खाना खाने के आधा घंटा बाद सेवन करें।


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पंचकर्म चिकित्सा :-  अभ्यङ्ग, स्वेदन, वस्ति ।

षट्कर्म चिकित्सा :- जलनेति, सूत्रनेति, कुँजलक्रिया, वाष्पस्वेदन, एक्यूप्रेशर, योगनिद्रा, त्राटक।

प्राकृतिक चिकित्सा :-

  • एनिमा में नीम पानी का, कंपकंपी में गरम पानी स्नान, गरमी से बेचैनी होने पर गीली चादर लपेट, पसीना आने पर नीम के पानी से स्पंज बाथ दें।
  • सिर तथा पेट पर मिट्टी की पट्टी अथवा गीला तौलिया रखें। ठण्डा कटि स्नान, नीम के ठण्डे पानी का एनिमा ।

नोट :- हम आपको जो भी जानकारी दिए है सब सामान्य जानकारी रखने योग्य है | कोई भी औषधि (दवा) का सेवन करने से पहले डॉक्टर (वैद्य) परामर्श जरूर लें | 

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