Virahara According to Ayurveda आयुर्वेद के अनुसार विरुद्धाहार, किस पदार्थ के साथ क्या खाना चाहिए पूरी जानकारी

Virahara According to Ayurveda : आयुर्वेद के अनुसार विरुद्धाहार, किस पदार्थ के साथ क्या खाना चाहिए पूरी जानकारी

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Virahara According to Ayurveda : आयुर्वेद के अनुसार विरुद्धाहार, किस पदार्थ के साथ क्या खाना चाहिए पूरी जानकारी के लिए यह आर्टिकल अंत तक जरूर पढ़ें | जिन पदार्थों के साथ-साथ सेवन से रोग उत्पन्न होने की सम्भावना होती है, उनका विवरण |


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      आयुर्वेदानुसार जिस प्रकार पथ्य या हितकारी आहार के सेवन से स्वास्थ्य की रक्षा होती है और वात, पित्त व कफ- ये तीनों दोष अपनी सम अवस्था में बने रहते हैं, उसी प्रकार अपथ्य या अहितकारी आहार के सेवन से स्वास्थ्य का नाशऔर दोषों का प्रकोप होता है। यह आहार भी अनेक प्रकार का हो सकता है। कुछ खाद्य-पदार्थ तो प्रकृति से ( स्वभावतः) ही दोषों का प्रकोप करने वाले, रोगकारक,भारी आदि होने से अपथ्य होते हैं, परन्तु कुछ प्राकृतिक रूप से और अकेले तो बहुत गुणकारी और स्वास्थ्य – वर्धक होते हैं |

Virahara According to Ayurveda लेकिन जब इन्हीं पदार्थों को किसी अन्य खाद्य-पदार्थ के साथ लिया जाए अथवा किसी विशेष समय या ऋतु में या किसी विशेष वस्तु में पका कर सेवन किया जाए, तो ये लाभ के स्थान पर हानि पहुँचाते हैं और अनेक प्रकार के रोगों का कारण बनते हैं; ये विरुद्धाहार कहलाते हैं; क्योंकि ये रस, रक्त आदि धातुओं को दूषित करते हैं, दोषों को प्रकुपित करते हैं तथा मलों को शरीर से बाहर नहीं निकालते । अनेक बार कुछ गम्भीर रोगों की उत्पत्ति का कोई साफ कारण दिखाई नहीं देता, वस्तुतः उनका कारण विरुद्धाहार होता है; क्योंकि आयुर्वेद में कहा है कि इस प्रकार के विरुद्धाहार का निरन्तर सेवन करते रहने से ये शरीर पर धीरे-धीरे दुष्प्रभाव डालते हैं और धातुओं को दूषित करते रहते हैं। अत: विरुद्धाहार नाना रोगों का कारण बनता है।

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ये विरुद्धाहार अनेक प्रकार के होते हैं, जैसे :- Virahara According to Ayurveda

दूध के साथ – दही, नमक, मूली, मूली के पत्ते, अन्य कच्चे सलाद, सहिजन, इमली, खरबूजा, बेलफल, नारियल, आम्रातक (आमड़ा), नींबू,लिकुच (बड़हल ), करौंदा, कमरख, जामुन, कैथ, पारावत ( अम्ल फल), अनार, आँवला, गलगल तोरई, गुड़, तिलकुट, कुलथी, उड़द, मोठ, निष्पाव, कंगु, वनक, सत्तू, तेल तथा अन्य प्रकार के खट्टे फल या खटाई, मछली आदि का सेवन स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है।

दही के साथ – खीर, दूध, पनीर, गर्म पदार्थ, व गर्म भोजन, खीरा, खरबूजा, ताड़ फल आदि का सेवन विरुद्धाहार है।

खीर के साथ – कटहल, खटाई (दही, नींबू, आदि), सत्तू, शराब आदि का सेवन विरुद्धाहार है।

शहद के साथ – मकोय (काकमाची), घी (समान मात्रा में पुराना घी), वर्षा का जल, तेल, वसा, अंगूर, कमल का बीज, मूली, ज्यादा गर्म जल, गर्म दूध या अन्य गर्म पदार्थ, कुसुम्भ का साग, शार्कर (शर्करा से बना शरबत) और मैरेय (खजूर से बनी मदिरा), आदि का सेवन विरुद्ध है। शहद को गर्म करके सेवन करना निषिद्ध है।

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शीतल जल के साथ – घी, तेल, तरबूज, अमरूद, खीरा, ककड़ी, मूंगफली, चिलगोजा आदि का सेवन विरुद्धाहार है।


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गर्म जल या गर्म पेय के साथ – शहद, कुल्फी, आइसक्रीम व अन्य शीतल पदार्थ का सेवन स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है।

घी के साथ – समान मात्रा में शहद तथा ठण्डे जल का सेवन स्वास्थ्य के लिए अहितकर है।

खरबूज के साथ – लहसुन, दही, दूध, मूली के पत्ते, पानी आदि का सेवन स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है।

तरबूज के साथ – ठण्डे पानी तथा पुदीने का सेवन स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है।

चावल के साथ – सिरके का सेवन स्वास्थ्य के लिए अहितकर है।

तिल की पिट्ठी के साथ – उपोदिका (पोई) को पकाकर खाना विरुद्धाहार है।

नमक – अधिक मात्रा में खाना स्वास्थ्य के लिए अति हानिकारक है।

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अंकुरित धान्य, चने आदि के साथ – कमल-नाल का सेवन विरुद्धाहार है। कच्चे अंकुरित धान्य के साथ पके हुए भोजन का सेवन भी विरुद्धाहार है।

मकोय के साथ – पिप्पली, काली मिर्च, गुड़ व शहद का सेवन स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। जिस बर्तन में मछली पकाई हो, उसमें रातभर रखे हुए मकोय शाक का सेवन नहीं करना चाहिए ।

उड़द की दाल के साथ – मूली का सेवन स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है।

केला के साथ – तक्र (मट्ठा) का सेवन स्वास्थ्य के विरुद्ध है।

घी- काँसे के बर्तन में दस दिन या अधिक समय तक रखा हुआ घी विषाक्त हो जाता है।

दूध, सुरा, खिचड़ी – इन तीनों को मिलाकर नहीं खाना चाहिए क्योंकि यह विरुद्धाहार होने से हानिकारक है।

       इस प्रकार के विरुद्ध आहार के सेवन से शरीर के धातु और दोष असन्तुलित हो जाते हैं, परिणामस्वरूप अनेक प्रकार के रोग उत्पन्न हो जाते हैं। अतः इन सबका विचार करके ही खाद्य पदार्थों का सेवन करना चाहिए ।

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विरुद्धाहार से अल्प प्रभावित होने वाले व्यक्ति :- Virahara According to Ayurveda

     प्राणायाम, योगासन व व्यायाम से रोगप्रतिरोधक क्षमता की वृद्धि होती है। अतः प्रतिदिन व्यायाम करने वाले, घी, दूध आदि स्निग्ध पदार्थों का सेवन करने वाले, तीव्र पाचकाग्नि वाले बलवान् व्यक्ति तथा निरन्तर अभ्यास से जिनके लिए विरुद्धाहार सात्म्य बन गया हो, ऐसे व्यक्तियों पर विरुद्धाहार का विशेष दुष्प्रभाव नहीं होता। अल्प मात्रा में लेने से भी विरुद्धाहार का कुप्रभाव नहीं होता; यदि होता भी है तो आंशिक रूप से ही होता है।

आयुर्वेद के अनुसार आहार के हितकारी संयोग के उदाहरण :-

जिस प्रकार विरुद्धाहार के सेवन से हानि होती है और अनेक रोग उत्पन्न होने की सम्भावना रहती है, इसके विपरीत कुछ ऐसे खाद्य पदार्थ भी हैं, जिन्हें आपस में मिलाकर खाने से अधिक लाभ होता है तथा इस प्रकार उनका पाचन भी शीघ्र हो जाता है। ये हितकारी संयोग कहे जा सकते हैं। यदि स्वादवश किसी एक पदार्थ का सेवन अति मात्रा में कर लिया जाए, तो उससे अपच हो जाती है या कुछ विकार उत्पन्न हो जाते हैं। ऐसी स्थिति में भी इन हितकारी संयोगों के सेवन से अपच के कारण उत्पन्न विकार दूर हो जाते हैं।

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ऐसे हितकारी खाद्य पदार्थों की सूची इस प्रकार है :- Virahara According to Ayurveda

खाद्य पदार्थ हितकारी संयोग ( जिस वस्तु से पाचन होता है )
उड़द तक्र, खांड
 चना मूली
मूंग आँवला
अरहर कांजी
गेहूँ की रोटी ककड़ी
मक्का अजवायन
खिचड़ी  सेंधा नमक
पिष्टान्न (गेहूँ आदि के आटे से बने पदार्थ) तथा इनसे बने बड़े आदि शीतल जल / नीम की जड़
दूध   मूंग का यूष (सूप)
घी जम्बीरी नींबू का रस
आम दूध
केला घी
नारंगी गुड़
जम्बीरी नींबू नमक
द्राक्षा ( अंगूर, किशमिश ) पिस्ता, अखरोट और बादाम लौंग
आलू तण्डुलोदक
सूरण (जिमीकन्द) गुड़
मिश्री सोंठ
गुड़ सोंठ और नागरमोथा
ईख (गन्ना) अदरक

 

आयुर्वेदोक्त उपरोक्त हितकारी पदार्थों के साथ संयोग होने से उन द्रव्यों का सेवन शरीर के लिए लाभप्रद व गुणों की वृद्धि करने वाला होता है।

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भोज्यविशेष के अतिसेवन / अजीर्ण से उत्पन्न विकारों के निवारक द्रव्य :-

क्र.सं.  खाद्य पदार्थ अतिसेवन – जन्य विकार चिकित्सा
1. खट्टी मलाई कफकारक धनिया या इलायची
2. दधि कफकारक जीरा या अदरक
3. पनीर पित्तकारक तथा कफप्रकोपक काली मिर्च, लाल मिर्च
4. कुल्फी  कफकारक, रक्ताधिक्यकर  लौंग या इलायची 
5. जौ  कफकारक  हल्दी, सरसों के बीज या जीरा 
6. गेहूँ  कफकारक  अदरक 
7. चावल  कफकारक  लौंग या काली मिर्च के दाने 
8. सब्जियाँ ( फली वाली)  वातकारक तथा आध्मान (अफारा करने वाली  लहसुन, लौंग, काली मिर्च, लाल मिर्च 
9. बन्दगोभी  वातकारक सूरजमुखी के तेल में हल्दी तथा सरसों के बीज के साथ पकाकर सेवन करें |
10. लहसुन पित्तकारक  नारियल चूरा तथा नींबू
11. हरितक (सलाद )  वातकारक जैतून तेल का नींबू रस के साथ सेवन
12. प्याज  दाहकारक  लवण, नींबू, दधि तथा सरसों के बीज 
13. आलू  वातकारक घृत के साथ काली मिर्च के दाने
14. टमाटर  कफकारक  नींबू या जीरा
15. मक्खनफल व कफकारक  कफकारक  हल्दी, नींबू, लहसुन या काली मिर्च
16. केला  कफकारक  इलायची
17. शुष्क फल रूक्षताकारक या वातकारक पानी में डुबोकर इन फलों का सेवन
18. आम अतिसारकारक इलायची का सेवन
19. मूंगफली वातहर तथा पित्तकारक  इसको जल में सम्पूर्ण रात्रि भिगोकर प्रातः सेवन करें।
20. मूंगफली का मक्खन  गुरु, पित्तकारक, शिरःशूलकारक अदरक या भुना हुआ जीरा चूर्ण 
21. विविध मदिरा उत्तेजक, अवसादक 1/4 चम्मच जीरे के बीज चबाने चाहिये या 1-2 इलायची बीज 
22. काली चाय उत्तेजक, अवसादक अदरक
23. कैफीन (कॉफी) उत्तेजक जायफल चूर्ण कासेवन, इलायची सेवन।
24. चॉकलेट उत्तेजक इलायची या जीरा 
25. पापकॉर्न (लावा, फुटेहरा) रूक्षताकारक तथा वातकारक इसका घृत के साथ सेवन।
26. तम्बाकू पित्त प्रकोपक तथा वातकारक, उत्तेजक ब्राह्मी, वचा मूल या अजवायन बीज

अत : व्यक्ति को प्रयत्नपूर्वक विरुद्ध आहार से बचना चाहिए, जिससे शरीर में किसी भी तरह के रोगों के उत्पन्न होने की सम्भावना न हो। यदि रोगों की उत्पत्ति हो भी गई तो सावधानीपूर्वक आहार-विहार पर विशेष ध्यान देने से रोगों का शमन हो जाता है।

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नोट :- Virahara According to Ayurveda यह जानकारी सिर्फ सामान्य जानकारी के लिए है, किसी पदार्थ का सेवन करने से पहले डॉक्टर का परामर्श जरूर ले लें | 

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